जौनपुर के बारे में
जब कोई वाराणसी मंडल की बात करता है तो जौनपुर का जिक्र करना नहीं भूलता। जौनपुर जिला उत्तर प्रदेश के वाराणसी मंडल में स्थित है। जौनपुर को गोमती और सई नदी के पवित्र जल का सान्निध्य प्राप्त है। इसकी भूमि को वरुणा, बसुही, पीली, मामूर और गंगी नदियों के संरक्षण भी प्राप्त है।
यदि हम जौनपुर के इतिहास की बात करें तो यह 1359 में फिरोज शाह तुगलक के युग में मौजूदा अस्तित्त्व में आता है। जौनपुर को पहले शिराज-ए-हिंद के नाम से जाना जाता था और यह जगह समूचे इतिहास के कई प्रमुख घटनाओं और उल्लेखनीय व्यक्तित्त्वों का साक्षी रहा है।
जौनपुर हिंदू पौराणिक कथाओं और वैदिक काल में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह आदि गंगा गोमती और इसके पवित्र तटों का सान्निध्य पाता दिव्य स्थान है, कारणवश यह परिव्राजकों, ऋषियों और महर्षियों के ज्ञान एवं तप का प्रमुख क्षेत्र था । जाफराबाद और जौनपुर के बीच गोमती के दाहिने किनारे पर महर्षि यमदग्नि ने अपना आश्रम बनाया था । आधुनिक काल में यह स्थान “महर्षि यमदग्नि मंदिर” के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ महर्षि यमदग्नि अपने पुत्र परशुराम के साथ रहते थे। उस समय जौनपुर अयोध्या के राजा के अधिकार क्षेत्र में था और उसे अयोध्यापुरम कहा जाता था।
किसी पुराने विवाद के कारण राजा सहस्त्रार्जुन ने आश्रम पर आक्रमण कर दिया और महर्षि यमदग्नि की हत्या कर दी। इस कृत्य से परशुराम क्रोधित हो गए और परिणामस्वरूप उन्होंने युद्ध में अपने पिता के हत्यारे को मार डाला। जौनपुर जिले में सबसे पहला आगमन रघुवंशी क्षत्रियों का हुआ था ।
जौनपुर- सौहार्द की एक जीवंत गाथा
जौनपुर को इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है | बनारस और अयोध्या के राजा से लेकर मुग़ल सल्तनत और अवध के नवाब तक कई राजनीतिक राजवंशों का यह महात्त्वपूर्ण केंद्र रहा है। यह क्षेत्र शर्की परिषद के दौरान मौजूद हिन्दू-मुस्लिम के साम्प्रदायिक सौहार्द के खूबसूरत पक्ष का साक्षी रहा है, जो शिक्षा, संस्कृति, संगीत, कला और साहित्य के क्षेत्र में इस क्षेत्र की उन्नति का प्रमुख कारक रहा है एवं यह सौहार्द प्रेरणा के स्वरूप में इस क्षेत्र की संस्कृति में आज भी काफी स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है।
शिक्षा के क्षेत्र में इस जिले का विशिष्ट स्थान है। ऐतिहासिक रूप से जौनपुर में अरबी और फारसी सीखने और पढ़ने के लिए विदेशों से छात्र आते थे। प्रसिद्ध शासक शेरशाह सूरी ने भी यहीं शिक्षा प्राप्त की थी। यह वही भूमि है जहाँ से सूफीवाद शुरू हुआ और बाद में प्रसार पाया। शर्की काल के दौरान इस भूमि ने अद्वितीय हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सद्भाव का मार्ग प्रशस्त किया, जिसकी विरासत आज भी यहाँ मौजूद है।
आधुनिक जौनपुर
आधुनिक समय में जौनपुर वर्त्तमान उत्तरप्रदेश राज्य में कृषि और राजनीतिक प्रतिष्ठा की भूमि है। इस क्षेत्र में अधिकांश लोग हिंदी, भोजपुरी और उर्दू बोलते हैं। इस जिला के पास 6 तहसीलें और 21 विकास खंड हैं।